0 -->

यहां जलाई जाती है उदयपुर संभाग की सबसे ऊंची होली,करीब पन्द्रह सौ मीटर ऊंचे पहाड पर जलती है यह होली इस अनोखी होली का लकडी के बजाए केवल नारियल से होता है


यहां जलाई जाती है उदयपुर संभाग की सबसे ऊंची होली,करीब पन्द्रह सौ मीटर ऊंचे पहाड पर जलती है यह होली इस अनोखी होली का लकडी के बजाए केवल नारियल से होता है दहन होती इस होली से मांगी जाती है सन्तान प्राप्ति के लिए कामनाक्षेत्र में सबसे पहले होता है इस होली का दहन जिसके बाद जलाई जाती अन्य गांवों होलियांहोली को बेटी तरह दी जाती है श्री फल और कापडे से विदाईमाना जाता है भक्त प्रह्लाद को इसी स्थान पर गोद में लेकर बैठी थी होलिका  

गौतम पटेल सराडा
पूरे भारत में होली का पर्व बेहद ही हर्षौल्लास के साथ मनाया जाता है, ये त्यौहार हर रंग में रंगों के साथ साथ खुशियों को भी लेकर आता है। इस पर्व को देशवासी अपने अलग अलग अंदाज से मनाते है । कुछ इसी तरह होली के पर्व को मनाने की अनूठी परम्पराए राजस्थान के मेवाड़ में भी देखने को मिलेगी। यहाँ कही तो बारूद की होली खेली जाती है तो कही अपनी संस्कृति और परंपरा के अनुरूप पर्व को मनाया जाता है ऐसी ही एक अनूठी होली का दहन उदयपुर के सेमारी तहसील के धनकवाड़ा ग्राम पंचायत में स्थित  डेढ़ किलोमीटर ऊंचे करकेला धाम पहाड़ पर,जहां  धार्मिक स्थल करकेला धूणी व  मंदिर में भी है ।
 लोक मान्यताओं के अनुसार होलीका इसी क्षेत्र की रहने वाली थी और जहां आज पहाड पर होली जलती है उसी स्थान पर वह भक्तराज प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठी थी ! भगवान विष्णु की माया के चलते होलीका जल गई और भक्त प्रह्लाद बच गये !
ग्रामीण आदिवासी  मान्यताओं के अनुसार होलीका इस क्षेत्र की बेटी कहलाई इस लिए आसपास गांवों से हजारों की संख्या में हर वर्ग के लोग बेटी को विदाई का श्रीफल भेंट कर विदा करते है ! आसपास के कई गांवों व आदिवासी पालों के लोग यहां नारियल व कापडा(ब्लाउजपीस) यहां होलि के स्थान पर भेट करते है !
 इसी मान्यता के कारण करकेला धाम पर सैंकडों सालों से नारियल की होली का दहन किया जा रहा है ।
करकेला धाम क्षेत्र की प्रसिद्ध धूणी है, व गुफा है | पूर्णिमा के दिन हजारों श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहूंचते है |
** लोगो मे मान्यता है कि करकेला धाम की होली के दर्शन से ही सभी दुख दर्द दूर हो जाते है
** नारियलों की होली के दहन के दौरान स्थानीय लोग जहां होली की परिक्रमा कर मन्नत मांगते है,मान्यता है यहां होलिका दहन के दर्शन के

** वही सलूम्बर , सेमारी , सराड़ा ,खेरवाड़ा सहित अन्य जगह के श्रद्धालुगण करकेला होली के दर्शन कर पूर्णिमा का व्रत खोलते है
**  करीब डेढ किलोमीटर ऊंचाई पर आसपास के बारह गांवों के ढोल व कुण्डी अपनी लय जमाते है जिनकी ताल पर युवा,बुजुर्ग हाथों में लाठियां,तलवारों के साथ  जमकर गैर खेलते वही  युवतियां लेजिम पर अपनी ताल जमाती है !
**  यहां लोगों में सेवा की भावना एसी कि डेढ किलोमीटर पहाडी पर श्रद्धालुओं के लिए सिर पर पानी उठाकर ले जाते है,क्याकिं पहाड पर पीने के पानी की व्यवस्था नही है !
आदिवासियों की प्रसिद्ध होलियों में से एक करकेला होली में आसपास की एक दर्जन से अधिक पालों के लोग शामिल होते है ,यहां शराब पीकर पहूंचना,झगडा करना व महिलाओं से अभद्रता करने वालों के खिलाफ कडे नियमों के तहत सामाजिक व आर्थिक दण्ड दिया जाता है | यहां के पुजारी व पालों के मुखिया( गमेती) मिलकर ग्रामीणों की सहमति से निर्णय लेते है
** यह होली सेमारी व रिषभदेव दो तहसिलों की सीमा रेखा पर है !
सराडा, सलूम्बर,सेमारी व रिषभदेव क्षेत्र में सबसे पहले होलीका दहन करकेला पर ही होता है इसके बाद अन्य गांवों में होली जलाई जाती है ,हजारों की संख्या में आदिवासी पालों व ग्रामीण क्षेत्र के लोग इस अद्भूत दृश्य का आनन्द लेते है !

Post a Comment

Breaking

10/recent/ticker-posts

Total Pageviews

Slider

5/random/slider

Popular Posts

Apni News

यहां जलाई जाती है उदयपुर संभाग की सबसे ऊंची होली,करीब पन्द्रह सौ मीटर ऊंचे पहाड पर जलती है यह होली इस अनोखी होली का लकडी के बजाए केवल नारियल से होता है


यहां जलाई जाती है उदयपुर संभाग की सबसे ऊंची होली,करीब पन्द्रह सौ मीटर ऊंचे पहाड पर जलती है यह होली इस अनोखी होली का लकडी के बजाए केवल नारियल से होता है दहन होती इस होली से मांगी जाती है सन्तान प्राप्ति के लिए कामनाक्षेत्र में सबसे पहले होता है इस होली का दहन जिसके बाद जलाई जाती अन्य गांवों होलियांहोली को बेटी तरह दी जाती है श्री फल और कापडे से विदाईमाना जाता है भक्त प्रह्लाद को इसी स्थान पर गोद में लेकर बैठी थी होलिका  

गौतम पटेल सराडा
पूरे भारत में होली का पर्व बेहद ही हर्षौल्लास के साथ मनाया जाता है, ये त्यौहार हर रंग में रंगों के साथ साथ खुशियों को भी लेकर आता है। इस पर्व को देशवासी अपने अलग अलग अंदाज से मनाते है । कुछ इसी तरह होली के पर्व को मनाने की अनूठी परम्पराए राजस्थान के मेवाड़ में भी देखने को मिलेगी। यहाँ कही तो बारूद की होली खेली जाती है तो कही अपनी संस्कृति और परंपरा के अनुरूप पर्व को मनाया जाता है ऐसी ही एक अनूठी होली का दहन उदयपुर के सेमारी तहसील के धनकवाड़ा ग्राम पंचायत में स्थित  डेढ़ किलोमीटर ऊंचे करकेला धाम पहाड़ पर,जहां  धार्मिक स्थल करकेला धूणी व  मंदिर में भी है ।
 लोक मान्यताओं के अनुसार होलीका इसी क्षेत्र की रहने वाली थी और जहां आज पहाड पर होली जलती है उसी स्थान पर वह भक्तराज प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठी थी ! भगवान विष्णु की माया के चलते होलीका जल गई और भक्त प्रह्लाद बच गये !
ग्रामीण आदिवासी  मान्यताओं के अनुसार होलीका इस क्षेत्र की बेटी कहलाई इस लिए आसपास गांवों से हजारों की संख्या में हर वर्ग के लोग बेटी को विदाई का श्रीफल भेंट कर विदा करते है ! आसपास के कई गांवों व आदिवासी पालों के लोग यहां नारियल व कापडा(ब्लाउजपीस) यहां होलि के स्थान पर भेट करते है !
 इसी मान्यता के कारण करकेला धाम पर सैंकडों सालों से नारियल की होली का दहन किया जा रहा है ।
करकेला धाम क्षेत्र की प्रसिद्ध धूणी है, व गुफा है | पूर्णिमा के दिन हजारों श्रद्धालु दर्शनों के लिए पहूंचते है |
** लोगो मे मान्यता है कि करकेला धाम की होली के दर्शन से ही सभी दुख दर्द दूर हो जाते है
** नारियलों की होली के दहन के दौरान स्थानीय लोग जहां होली की परिक्रमा कर मन्नत मांगते है,मान्यता है यहां होलिका दहन के दर्शन के

** वही सलूम्बर , सेमारी , सराड़ा ,खेरवाड़ा सहित अन्य जगह के श्रद्धालुगण करकेला होली के दर्शन कर पूर्णिमा का व्रत खोलते है
**  करीब डेढ किलोमीटर ऊंचाई पर आसपास के बारह गांवों के ढोल व कुण्डी अपनी लय जमाते है जिनकी ताल पर युवा,बुजुर्ग हाथों में लाठियां,तलवारों के साथ  जमकर गैर खेलते वही  युवतियां लेजिम पर अपनी ताल जमाती है !
**  यहां लोगों में सेवा की भावना एसी कि डेढ किलोमीटर पहाडी पर श्रद्धालुओं के लिए सिर पर पानी उठाकर ले जाते है,क्याकिं पहाड पर पीने के पानी की व्यवस्था नही है !
आदिवासियों की प्रसिद्ध होलियों में से एक करकेला होली में आसपास की एक दर्जन से अधिक पालों के लोग शामिल होते है ,यहां शराब पीकर पहूंचना,झगडा करना व महिलाओं से अभद्रता करने वालों के खिलाफ कडे नियमों के तहत सामाजिक व आर्थिक दण्ड दिया जाता है | यहां के पुजारी व पालों के मुखिया( गमेती) मिलकर ग्रामीणों की सहमति से निर्णय लेते है
** यह होली सेमारी व रिषभदेव दो तहसिलों की सीमा रेखा पर है !
सराडा, सलूम्बर,सेमारी व रिषभदेव क्षेत्र में सबसे पहले होलीका दहन करकेला पर ही होता है इसके बाद अन्य गांवों में होली जलाई जाती है ,हजारों की संख्या में आदिवासी पालों व ग्रामीण क्षेत्र के लोग इस अद्भूत दृश्य का आनन्द लेते है !

Post a Comment

0 Comments

© Apni News . All Rights Reserved Theme by Infinity Blogger